
1971 में जब पूर्वी पाकिस्तान से बड़ी संख्या में शरणार्थी वहां की सेना के दमनचक्र के कारण भारत पहुंचने लगे थे तो इंदिरा गांधी ने संकेत दे दिया था वो इसे चुपचाप नहीं देख सकतीं. जब इस मामले की बातचीत के लिए वह अमेरिका पहुंचीं तो तत्कालानी अमेरिकी प्रेसीडेंट रिचर्ड निक्सन ने एक तरह से उन्हें दबाव में लेने की कोशिश की. अपमानजनक व्यवहार किया. धमकी दी कि अगर भारत ने पूर्वी पाकिस्तान की ओर अपने सैनिक भेजने की हिम्मत की तो ये भारत के लिए बहुत बुरा होगा. इस धमकी से अच्छे खासे देश के राष्ट्रप्रमुखों को पसीना आ जाता लेकिन इंदिरा गांधी तो अलग ही मिट्टी की बनीं थीं. उन्होंने अमेरिकी धमकी का मुंहतोड़ तोड़ जवाब दिया. अमेरिका मुंह लेकर रह गया. कुछ नहीं कर पाया. बल्कि उल्टे अमेरिकी प्रेसीडेंट रिचर्ड निक्सन की ही गद्दी चली गई.
आखिर तब कैसे इंदिरा गांधी ने अमेरिका को चुनौती देकर बांग्लादेश में ना केवल सेना भेजी बल्कि उसे पाकिस्तान से तोड़कर आजाद देश भी बनवा दिया. 1971 में बांग्लादेश में मुक्ति संग्राम चल रहा था. पाकिस्तान की सेना बुरी तरह पूर्वी पाकिस्तान कहे जाने वाले इस इलाके में दमनचक्र चलाकर कत्लेआम कर रहे थे.
भारत पर असर इसलिए पड़ रहा था, क्योंकि बडी संख्या में शरणार्थी सीमा पारकर करके असम पहुंचने लगे. इससे भारत के सामने उन्हें ठहराने और भोजने देने का संकट खड़ा हो गया. जाहिर सी बात है कि पूर्वी पाकिस्तान में जो कुछ भी हो रहा था उसका असर भारत पर पड़ रहा था.
